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कलम से लिखे शब्दों में अगर सच्चाई ना होगी,
तुम्हारी कविता में गहराई ना होगी,
भाव ना होंगे अगर तुम्हारें अपने,
कविता में तुम्हारी परछाई ना होगी,
जरूरी हैं शब्दों का तुमसे ताल्लुक़ात,
भावों को किया हों तुमने आत्मसात,
तुम्हारी कल्पना हों या तुम्हारी जीवनगाथा,
जरूरी हैं शब्दों का जुङा हों तुमसे नाता,
तुम्हारी कल्पना को भले ही पार कर जाए,
पर वो सोच तुम्हारी ही कहलाए,
सारे शब्दों में बस एक ही बात कही हैं,
जो दिल से ना लिखा हों, वो तुम्हारा लेखन नहीं है,
रिश्ता, शब्दों से ना हों बेवफ़ाई का,
शब्द तो हैं आइना तुम्हारी अच्छाई का,
शब्दों के साथ तुम रखना ईमानदारी,
सच्ची कला के लिए सच्चा लिखना हैं जिम्मेदारी
तुम्हारी कविता में गहराई ना होगी,
भाव ना होंगे अगर तुम्हारें अपने,
कविता में तुम्हारी परछाई ना होगी,
जरूरी हैं शब्दों का तुमसे ताल्लुक़ात,
भावों को किया हों तुमने आत्मसात,
तुम्हारी कल्पना हों या तुम्हारी जीवनगाथा,
जरूरी हैं शब्दों का जुङा हों तुमसे नाता,
तुम्हारी कल्पना को भले ही पार कर जाए,
पर वो सोच तुम्हारी ही कहलाए,
सारे शब्दों में बस एक ही बात कही हैं,
जो दिल से ना लिखा हों, वो तुम्हारा लेखन नहीं है,
रिश्ता, शब्दों से ना हों बेवफ़ाई का,
शब्द तो हैं आइना तुम्हारी अच्छाई का,
शब्दों के साथ तुम रखना ईमानदारी,
सच्ची कला के लिए सच्चा लिखना हैं जिम्मेदारी
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