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प्रेम भीतर की व्यथा हैं, प्रेम एक समाधान भी,
प्रेम हैं चुप्पी हमारी, ये वाचालता की तान भी,
प्रेम दूरी में नज़दीकी, प्रेम मन का मिलन,
प्रेममय भाषा हमारी, प्रेम से हुआ हमारा संगम,
भिन्न होकर भी अभिन्न, प्रेम की विशेषता हैं,
समझना हों तुम्हारें अल्फाजों को जो,
तो मेरा दिल उनका पता हैं,
प्रेम में तुम तुम नहीं, प्रेम में मैं मैं नहीं ,
प्रेम हमसे ही शुरू हैं, हर बात हमने हम में कही,
प्रेम खोखले मन का सार भी,
प्रेम स्मृतियों का भंडार भी,
प्रेम अनगिनत अल्फाज भी,
प्रेम कई छिपाए राज भी,
प्रेम से नए रिश्ते की शुरूआत भी,
प्रेम दे देता कभी अनेकों आघात भी,
प्रेम को समझना बहुत आसान भी नहीं,
प्रेम भगवान पाने जैसा कठिन काम भी नहीं ,
प्रेम हर एक एहसास हैं , रूह से रूह का,
रिश्ता चाहें हों कोई अपना , या ना हों लहू का
सुरभि ठाकुर
प्रेम हैं चुप्पी हमारी, ये वाचालता की तान भी,
प्रेम दूरी में नज़दीकी, प्रेम मन का मिलन,
प्रेममय भाषा हमारी, प्रेम से हुआ हमारा संगम,
भिन्न होकर भी अभिन्न, प्रेम की विशेषता हैं,
समझना हों तुम्हारें अल्फाजों को जो,
तो मेरा दिल उनका पता हैं,
प्रेम में तुम तुम नहीं, प्रेम में मैं मैं नहीं ,
प्रेम हमसे ही शुरू हैं, हर बात हमने हम में कही,
प्रेम खोखले मन का सार भी,
प्रेम स्मृतियों का भंडार भी,
प्रेम अनगिनत अल्फाज भी,
प्रेम कई छिपाए राज भी,
प्रेम से नए रिश्ते की शुरूआत भी,
प्रेम दे देता कभी अनेकों आघात भी,
प्रेम को समझना बहुत आसान भी नहीं,
प्रेम भगवान पाने जैसा कठिन काम भी नहीं ,
प्रेम हर एक एहसास हैं , रूह से रूह का,
रिश्ता चाहें हों कोई अपना , या ना हों लहू का
सुरभि ठाकुर
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