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ख़ुदा और खुद का संगम

Surbhi ThakurSurbhi Thakur June 16, 2022
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ख़ुदा ने की होगी जब कल्पना इस सृष्टि की,
सोच उनकी भी होगी, एक नई दृष्टि की,
खुद के बुनें नियम भी उन्होंने तराशे होंगे,
सबको खुद से जोङने के पथ तलाशे होंगे,
ख़याल उनको भी ना कभी, आया होगा शायद, 
ख़ुदा से जन्मा व्यक्ति, खुद को ख़ुदा समझ लेगा अनायास,
अनेकों भ्रांति हैं, इंसा को इस संसार में,
जगत के जन्मदाता ही नहीं, इंसा के परिवार में,
खुद को तुम रचयिता, पालनहार समझ बैठे,
जैसे सूखा वृक्ष तन के खड़ा, ना झुका, ना लेटे,
खङी इमारत भी जैसे संगमरमर पर इतराती हैं,

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