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फिर समय क्या पता,मिले न मिले,
जो भी हैं काम जरूरी कर लो।
ज़िन्दगी का नहीं भरोसा कोई,
जो भी है कामना, पूरी कर लो।।
वक्त के छल-फरेब से पहले,
वक्त को मुट्ठियों में भर लेना।
इससे पहले कि वो फिसल जाए,
स्वप्न साकार सभी कर लेना।
वक्त की अहमियत को समझे जो,
वक्त उसका ही साथ देता है।
वक्त पर, वक्त के न साथ चले,
तो वक्त फिर हाथ खींच लेता है।।
खाद, पानी, हवा, प्रकाश जहां,
वक्त उस वाटिका का माली है।
जो भी कमतर हो, इंतजाम करो,
वरना समझो कि हाथ खाली है।।
जो बिखेरा है, समेटो उसको,
वक्त फिर फिर न मौका देता है।
आंख हो बन्द, फिर खुले न कभी,
वक्त औचक ही धोखा देता है।।
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