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कहते हैं शराफत से, इंसान निखरता है,
विश्वास भरोसे का, किरदार उभरता है।
मासूम से दिखते जो, होते हैं बहुत शातिर,
दिल में हो शराफत तो, हर ख्वाब बिखरता है।।
बनकर शरीफ जिसने, हक अपना ना संभाला,
रह जाएगा अकेला, प्रतिमान बन निराला।
समझेंगे उसे पागल, या बेवकूफ सारे,
खाएगा सदा धोखा,जब खल से पड़ेगा पाला।।
सम्मान शराफत का, अब सिर्फ नाम का है,
हद से शरीफ बन्दा, नहीं किसी काम का है।
मोहरा है
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