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श्वास के अविरल सफर मे,एक अनजानी डगर पर,
घोर तम में, हमसफर सब, रहगुजर में खो गए है।
रोशनी की आस में, हर मोड़ की ठोकर समेटे,
जिन्दगी की दौड़ मे, हम फिर अकेले हो गए हैं।।
...
गात्र का अन्तिम पहर है, व्याधियों का नित कहर है,
नेह, चाहत, मोह, माया, में घुला मीठा जहर है।
स्वास्थ्य,सन्मति,शान्ति की,ही लालसा बाकी जहन में,
धुंध में अज्ञानता की, अगोचर आत्मिक लहर है।।
...
तन कसौटी पर कसा है, मन विचारों में फंसा है,
सत्य के संदर्भ सारे, साधनारत, सो गए हैं।
रोशन
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