रिश्तों की जंजीर's image
Poetry1 min read

रिश्तों की जंजीर

Thakur Yogendra SinghThakur Yogendra Singh January 2, 2023
Share0 Bookmarks 30793 Reads0 Likes


विनम्रता की भी सीमा है, अति - संयम नादानी है।

आत्मसम्मान दांव पर हो तो, हर रिश्ता बेमानी है।।


नजरंदाज करे जब कोई, उसको नजरंदाज करो।

बार बार जो करे उपेक्षा, खुद से दूर दराज करो।।


स्वाभिमान बस किसी एक की व्यक्तिगत जागीर नहीं है।

बात आत्मगौरव की हो तो, फिर कोई जंजीर नहीं है।।


आदर, स्नेह, प्यार में खुद का तिरस्कार मत सहो कभी।

बार बार की अवहेलना को, मजबूरी मत कहो कभी।।


समझाने से भी

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts