
फिर मिलेंगे, किसी दिन, कोई नया उपहार लेकर,
संवेदना, संघर्ष, चाहत, चेतना का ज्वार लेकर!
लेखनी को है कहां विश्राम, अविरल ज़िन्दगी में,
लौट कर आएगी फिर से,अनुभवों का सार लेकर!!
फिल मिलेंगे, तो कलेवर को नया कुछ भान देंगे,
पर सुधी हैं आप तो, हर रूप में पहचान लेंगे!
गीत, कविताओं का,गजलों का समां जारी रहेगा,
है भरोसा आप सब, इस लेखनी को मान देंगे!!
फिर मिलेंगे, ऐसी ही कुछ पंक्तियों का भार लेकर,
भावनाओं से लबालब, हृदय का संसार लेकर!
जिन्दगी की समस्याओं पर नया कुछ शोध करके,
दर्द, चिन्ता, द्वन्द्व का, कोई नया उपचार लेकर!!
फिर मिलेंगे, बिखरी यादों की नई तस्वीर लेकर,
विचारों की, कल्पना की, स्नेह की जंजीर लेकर!
आपकी उम्मीद पर उतरें खरे, है कामना यह,
जाएंगे दुनियां को अपनी,बस यही जागीर देकर!!
फिर मिलेंगे,पर अभी तक जो लिखा है,मान रखना,
भूल मत जाना,दिलों मे निज,अमिट पहचान रखना!
हो सुधारों की जरूरत भी जहां, बेझिझक कहना,
अपनी सम्मति और सुझावों का सदा अहसान रखना!!
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