Share0 Bookmarks 47394 Reads0 Likes
टूटती सांसों मे भी, छोड़े न उम्मीदों का दामन,
एक दिन की उदासी का तोड़,एक पल की खुशी है।
रोष से, चिन्ता से, भय से, द्वेष से बनता नहीं कुछ,
शांति, धैर्य, विवेक हल हैं, मुस्कराहट जिन्दगी है।।
आक्रोश के अतिरेक से अन्तर सदा अवरुद्ध रहता।
सोच निष्क्रिय, बुद्धि निष्फल, और दिल में बेबसी है।
दहकता है कुछ जहन में, कुछ न बचता इस दहन में।
तन में अकड़न और आंखों से बरसती आग सी है।।
फिक्र से,चिन्ता से भी मिलता नहीं हल किसी छल का।
सोच हर पल की सदा, तन और मन को सालती है।
छीन लेती है खुशी, सुख, शान्ति,सन्मत
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments