Share0 Bookmarks 43636 Reads0 Likes
मैंने सोचा था, सभी हैं, जुबां के पक्के यहां पर।
वो ही करते हैं सदा, रहता है जो उनकी जुबां पर।।
पर सफर में जिन्दगी के, आ मिले बहुतेरे ऐसे।
पूर्व कह पश्चिम को जाना,उनकी सहज आदत हो जैसे।।
मैनै सोचा था कि, सच्चाई की है कीमत यहां पर।
सच से ही बनते हैं रिश्ते, दोस्ती,बन्धन जहां पर।।
पर जहां देखो वहां पर, झूठ का ही सिलसिला है।
खोजने पर भी न कोई, सत्य का प्रेमी मिला है।।
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments