
कसमों की हो रही तिजारत, वादों का व्यापार यहां,
झूठे अनुमोदन से चलता, सच्चा हर व्यवहार यहां।।
सबसे सस्ती "कसम आपकी", दूजी है "भगवान कसम",
तीजा नम्बर "मां-बापू" का, चौथा है "परिवार"यहां।।
बिना कसम के आश्वासन हो, तो वादे कहलाते हैं,
वचन, प्रतिज्ञा, प्रण, करार, इसके पर्याय बताते हैं।
पूरे करने की सिरदर्दी, नहीं यहां लेता कोई,
केवल वक्त टालने की, खातिर ही बोले जाते हैं।।
रूठे को तुरत मनाने में, फल रामवाण सा देते हैं,
झूठे का झूठ छिपाकर ये, उसकी पीड़ा हर लेते हैं।
प्रेमी का है अधिकार यही, प्रेयसि का मृदुल प्रहार यही,
ये कसमें वादे हर जन मानस को वश में कर लेते हैं।।
करते हैं परहेज सभी, कसमें वादे दोहराने में,
बहुत कष्ट महसूस करेंगे,फिर से याद दिलाने में।
मन ही मन में पछतावा है,ऐसा क्यों बोला मैंने,
कुछ शब्दों के हेर फेर से, लग जाते समझाने में।।
पूरा हो वो वादा कैसा, वो कसम ही क्या जो टूटे ना,
है सबको यह मालूम मगर, फिर भी यह आदत छूटे ना।
इन कसमों वादों से हर बन्दा तंग बहुत लेकिन फिर भी,
है मजबूरी कोई भी अपना, स्वजन या साथी रूठे ना।।
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