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पृथ्वी, सूर्य, चन्द्रमा की गति, का निर्धारक कौन यहां है।
पंचतत्व में निहित, जीवनी-रस का धारक कौन यहां है।।
कौन यहां है जिसने, इस पृथ्वी को ये आकार दिया है।
महासागरों,महाद्वीप संग, हिमगिरि सा उपहार दिया है।।
...
दिन को सूरज और रात को, चांद सितारे किसने भेजे।
किसने भू पर अन्न, फूल, फल, औषधियों के बीज सहेजे।।
किसने यहां वायु, जल, अग्नि, भू, अम्बर के स्रोत सजाए।
जिनसे मिल उपजा जीवन, वह जीवन-तत्व कहां से आए।।
...
सुख-दुख, हर्ष-कष्ट के कैसे, मन में जागे भाव निराले।
रंग,गंध, स्पर्श,स्वाद संग, शब्द भेद समझाने वाले।।
जिसने इतना सब दे डाला, उसका ही गुणगान करें हम।
नित आभार व्यक्त कर उसका, अन्तर्मन में ध्यान करें हम।।
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