हिसाब - किताब's image
Share0 Bookmarks 0 Reads0 Likes

क्या कुछ गंवाया ज़िन्दगी मे, छूटा है और क्या?

इसका कोई हिसाब है, ना ही किताब हे।।


पर जो दिया है जिन्दगी ने, अन्ततोगत्वा।

उसकी मिसाल ही नहीं, वो लाजवाब है।।


बचपन से ही था शौक कुछ,पढ़ने का,लिखने का।

कविता  में, कहानी  में,  रुचि  बेहिसाब  है।।


मौका दिया न जिन्दगी की, उठापटक ने।

हर मोड़ पर, हर चेहरे ने, पह

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts