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हार के एकान्त पल में,
जीत के कलरव विकल में,
उम्मीदों में उभरते, उन्माद को मत भूलना।
हर्ष के अतिरेक में, अवसाद को मत भूलना।।
हार का जो सिलसिला है,
जीत से जाकर मिला है।
प्रयासों को परिश्रम से,
कब हुआ करता गिला है।।
वक्त के अनबूझ, अवसरवाद को मत भूलना।
हर्ष के अतिरेक में, अवसाद को मत भूलना।।
निराशा से घिरे मन को,
उम्मीदों का संग अपेक्षित।
आस से, विश्वास से,
उत्पन्न हो ऊर्जा यथोचित।।
स्वयं में भी चल रहे, परिवाद को मत भूलना।
हर्ष के अतिरेक में, अवसाद को मत भूलना।।
हार के एकान्त पल में,
जीत के कलरव विकल में,
उम्मीदों में उभरते, उन्माद को मत भूलना।
हर्ष के अतिरेक में, अवसाद को मत भूलना।।
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