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लो फिर से आ गया दिसंबर, नई जनवरी लाने को।
नये रूप में फिर दुनियां को, नई राह ले जाने को।।
दूर रहा दस माह दिसम्बर,सदा जनवरी से आगे।
लेकिन खुद वह सदा जनवरी के पीछे पीछे भागे।।
गये साल के गये महीने, फिर से वापस आएंगे।
ना जाने इस बार यहां वो, क्या गुल नये खिलाएंगे।।
बीते वर्षो की यादों को, नए वर्ष से जोड़ेगा।
साल पुराना सुख दुख
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