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दो हस्ती के मिलन से, पड़ा दोस्ती नाम।
सच्ची हो गर दोस्ती, बनते बिगड़े काम।।
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एक दूसरे के लिए, रहें सदा तैयार।
ना ही कुछ एहसान हो, ना कोई उपकार।।
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निर्मल मन, निस्वार्थ ही, रहे जहां व्यवहार।
कैसी भी विपदा पड़े, पड़ती नहीं दरार।।
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पर मिलता ही कहां है, अब ऐसा संयोग।
अपने ही हित कार्य में, व्यस्त सभी हैं लोग।<
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