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सपनों का खयालों में, हर रात दखल क्यों है?
अनबूझ सवालों मे, 'जज़्बात' दखल क्यों है?
बहते हुए दरिया में, 'कश्ती' का दखल माना!
बीहड़ की डगरिया में, 'बस्ती' का दखल क्यों है?
...
क्यों खेलती है 'ऊषा', नित रैन के सहारे?
क्यों झेलता है अम्बर, अगणित,अगम,सितारे?
दिनकर का सफर हर दिन, रहता है क्यों अधूरा?
क्यों आज तक न देखे, मिलते कहीं किनारे?
...
नाजुक गुलाब तन में, कांटों का दखल क्यों है?
गन्ने के मीठेपन में, गांठों का दखल क्यों है?
जीवन की राह क्योंकर, सीधी, सुगम न होती?
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