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भरोसा हर वहम,हर शक,जहन से दूर करता है।
भरोसे में वहम,अपनो को भी मजबूर करता है।।
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भरोसे ने कई रिश्तों मे डाला हौसले का दम।
भरोसे में कई मारे गए, बेमोत, बेमौसम।।
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भरोसे ने,भरोसे मे, भरोसे को किया कायम।
भरोसा टूट जाए तो, न कोई तुम,न कोई हम।
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भरोसा, दोस्ती का,प्यार का,आधार होता है।
भरोसे के बिना, अधूरा हर व्यवहार होता है।।
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भरोसेमंद के संग तो, विकटतम लू भी मन भाए।
दरारें हों भरोसे में तो, रस्सी सांप बन जाए।।
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भरोसे में अहम,जिद,छल कपट,विषपान होते हैं।
समझ, धीरज, सहनशक्ति, भरोसे को संजोते हैं।।
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भरोसा! आपदा में, दुधारी तलवार जैसा है।
है निर्भर,सामने उस पल जो है, इंसान कैसा है।।
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भरोसे को निभाना, साथ को स्वीकार करना है।
मिलाकर हाथ, जीवन में,नए नित रंग भरना है।।
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