बेजुबान's image
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रहने को आवास चाहिए,और घूमने को दुनियां,

मनचाहा भोजन,आजादी, हर इंसान खोजता है।

जंगल का हर जीव, आश्रित है जो केवल जंगल पर,

इंसानों के लोभ स्वार्थवश, जीवित नर्क भोगता है।।

...

पशु,पक्षी,जल-जीव,सभी का हिस्सा है इस धरती पर,

भोजन,छांव,हवा,पानी पर, उनका भी पूरा हक है।।

पर इंसानी मनमानी, चलती नित जल,नभ,भूतल पर,

अब कितनी ही दुर्लभ प्रजातियां,बच भी पाएंगी?शक है।।

...

अभी 'लोकडाउन' मे जब घर से भी निकलना दूभर था,

तब हर पल हर इन्सान, बाहर जाने को उत्सुक होता था।

किन्तु प्रशासन के भय से जब तोड़ न पाता था बन्धन,

तो मजबूरीवश दीवारों के, घेरे में बैठा रोता था।।

...

सिर्फ मनोरंजन की खातिर, जंगल-जीव शिकार बने,

चिड़याघर सी जेल मिली, बित्ती भर का आवास मिला।

बेजुबान,असहाय, नहीं

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