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आज फिर लब पे, वही गीत पुराना आया।
याद बचपन का, वही भूला जमाना आया।।
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साल-दर-साल कर, बढ़ती रही है उम्र मगर।
मन के दर्पण में, वही दृश्य सुहाना आया।।
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लोग कहते हैं कि, जो बीत गया बात गई।
मेरी खातिर तो, मेरा लौट खजाना आया।।
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आज कुछ पल की भी फुर्सत नहीं है
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