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कोन अपना, कौन बेगाना, बहुत मुश्किल है कहना।
चाहता हर कोई हरदम, साथ अपनो के ही रहना।।
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है वही अपना कि जो, संताप को भी सुख बना दे।
व्याधियों से त्रस्त जीवन में भी, जो उत्सव मना दे।।
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कोई बेगाना नहीं, सुख, शान्ति, सन्मति दे सकेगा।
सिर्फ अपना ही सदा, अपनों सी संगति दे सकेगा।।
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हर कहीं, हर वक्त जिसको, हो प्रथम परवाह,चिंता
अपने अहसानों को जो,ना जताता हो,ना ही गिनता।।
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जो जरूरत पर न
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