अनुग्रह's image
Share0 Bookmarks 78 Reads2 Likes

परिपाटियों के साथ चले जा रहे हैं हम।

हर रोज यूं ही खुद से छले जा रहे हैं हम।।

...

जो बीत गया,बात गई, पर अटल रहे।

उनके नसीब से ही, जले जा रहे हैं हम।।

...

नाकामयाबियों के भी, किस्से सुने बहुत।

उन सब का हश्र देख, गले जा रहे हैं हम।।

...

अपनों के साथ सपने देखना, खता थी क्या?

क्यों उन्ही सब को आज खले जा रहे हैं हम?

...

ना किसी की पसंद बन सके, न जरूरत।

बस रात-दिन के साथ, पले जा रहे हैं हम।।

...

नीयत है ये नियति की, या अपना गुरूर है।

या इत्तिफाक से ही, टले जा रहे हैं हम ।।

...

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts