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आंसू की मुस्कान

Thakur Yogendra SinghThakur Yogendra Singh December 27, 2022
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क्यों पोंछ रहे बहते आंसू,

रोको न इन्हें बह जाने दो।

आंखों के माध्यम से मन को,

निज व्यथा कथा कह जाने दो।।


मन की गाथा, दिल की पीड़ा,

कहने से तुम जो सकुचाए।

लब पर आ पाए शब्द न जो,

गालों पर आंसू बन आए।।

क्यों छिपा रहे हमसे इनको,

मत राज छिपा रह जाने दो।

आंखों के माध्यम से मन को,

निज व्यथा कथा कह जाने दो।।


घुट घुट कर दुख पीने से तो,

जीवन में घुन लग जाएगा।

संताप अधिक होगा जितना,

दिल उतना दबता जाएगा।।

यह दाब, शूल ना बन जाए,

उस से पहले गल जाने दो।

आंखों के माध्यम से मन को,

निज व्यथा कथा कह जाने दो।।


शायद तुम सोच रहे, दुनियां,

देखेग

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