आदमी's image
Share0 Bookmarks 42671 Reads1 Likes

रात  दिन  जद्दोजहद  से, जूझता  है आदमी,

शोर में भी शान्ति के पल, ढूंढ़ता है आदमी।

है अलग फितरत सभी की,और अनुभव भी अलग,

फिर भी सब में खुद को ही क्यों खोजता है आदमी।।

...

आदमी जो सदा से, अपनों की ही खातिर जिया,

अपनों की खातिर ही जिसने,जहर जीवन भर पिया।

अपने सपनों और अरमानों को, रख कर ताक पर,

अपनों के हर सुख,खुशी, समृद्धि का बीड़ा लिया।।

...

भाग्य को निज कर्म से, झकझोरता है आदमी,

राह को मंजिल के माफिक, मोड़ता है आदमी।

तोड़कर संसार का हर चलन, भ्रामक भ्रान्तियां,

स्वजनों के हित में, स्वयंसुख छोड़ता है आदमी।।

...

जितना हमें दिखता सहज, उतना सरल होता नहीं,

खुशहाल दिन की सोच में, जो रात भर सोता नहीं।

है किया ही क्या आज तक,क्या सुख दिया हमको यहां,

सुनता है, गुनता, टूटता है, पर कभी रोता नहीं।।
















No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts