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कच्ची उम्र की ही ये सारी गलतियाँ हैं,
जिस्म से जिस्म की ही ग़लतफ़हमियां हैं,,
खुद को अच्छा साबित करके खुश हैं यहां,
कुछ लोगों मैं दिखावे कि समझदारीयां हैं,
इश्क़ ए रिवायत मैं तहजीब से बंदिशें हैं,
सो बिखरी बंदिशों मैं अधूरी कहानियाँ हैं,,
ओर सफेद रंग के पीछे छिपे कई दाग हैं,
जनाब छिपी कमाल की कई नादानीयां हैं,,
अपनों को अपनों के लिए वक़्त ही कहां,
यहां तो अब हिस्सों की बचीं लड़ाइयाँ हैं,,
अब तु धीरे धीरे रेंत सी ढल रहीं हैं टीना,
केसे कहेगी भीतर बहती ख़ामोश तन्हाईयां हैं,,
✍ टीना कुमावत ✍
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