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पवित्र चरित्र से सुसज्जित तेरी काया है,
फिर क्यों तू बनी दर्द सी छाया है,,
तुझे सजर के समान अटल लड़ना है,
चोट दे कोई उजाड़ तू उसे ऐसी माया है,,
तुझे ही अपनी आबरू की रक्षा करनी है,
स्वयं बन लोहे का कवच ऐसी तेरी काया है,,
दुर्गा बन तू ने मां का स्वरूप बसाया है,
मत भूल तेरे अंदर काली का साया है,,
सिसकती चीखों को सुनकर अनसुना किया है,
गलती तेरी है कहेंगे यही तेरे हिस्से से आया है,,
इरादे मजबूत कर अटल हो आगे चलना है,
कांटे चुभे गे कई डरना नहीं मां ने सिखलाया है,,
सूत्रों से बंधी मोतियों की माला पिरोई माया है,
तार सकती है उसको शक्ति का रूप जो पाया है,,
नारी ही माया है नारी ही माया है नारी ही माया है।
फिर क्यों तू बनी दर्द सी छाया है,,
तुझे सजर के समान अटल लड़ना है,
चोट दे कोई उजाड़ तू उसे ऐसी माया है,,
तुझे ही अपनी आबरू की रक्षा करनी है,
स्वयं बन लोहे का कवच ऐसी तेरी काया है,,
दुर्गा बन तू ने मां का स्वरूप बसाया है,
मत भूल तेरे अंदर काली का साया है,,
सिसकती चीखों को सुनकर अनसुना किया है,
गलती तेरी है कहेंगे यही तेरे हिस्से से आया है,,
इरादे मजबूत कर अटल हो आगे चलना है,
कांटे चुभे गे कई डरना नहीं मां ने सिखलाया है,,
सूत्रों से बंधी मोतियों की माला पिरोई माया है,
तार सकती है उसको शक्ति का रूप जो पाया है,,
नारी ही माया है नारी ही माया है नारी ही माया है।
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