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सुनो…
ये सच है तुम याद बहुत आते हो….
वो जो तोहफे है ना और वो फूल जो हर शाम तुम मेरे लिए लाया करते थे। उनको आज भी मैंने अपनी अलमारी में समेट के रखा है..|
और हा मैं खावा हूं खुदा से बहुत ज्यादा खफा हूं कि काश एक तो नामुमकिन ख्वाहिश मांगने का हक दिया होता खुदा ने तो उस खुदा से तुम्हें छिन के वापस ले आती…|
सुनो.. ये आंखे देखो रात भर रो रो के लाल पड़ गई है अब तुम आओ ना ये सुर्ख लाली आंखों की उतारो और इन्हें
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