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अपने मान की अब रक्षा, नारी तुझको ही है करना..
तुझको इल्म तक ना होगा, किस कर्म का फल है तूने भोगा..
जिसको समझा तू ने बाप, कब करेगा वो ये पाप..
तुझको इल्म तक ना होगा..
माना जिसको तूने भाई, कब बनेगा वो कसाई..
तुझको इल्म तक ना होगा..
कहती है जिसको दोस्त, कब करेगा तुझको रोस्ट..
तुझको इल्म तक ना होगा..<
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