शब्द श्रृंगार's image
Poetry1 min read

शब्द श्रृंगार

Tanu Priya ChaudharyTanu Priya Chaudhary November 12, 2021
Share0 Bookmarks 80 Reads2 Likes

मेरे शब्द मेरा सोलह श्रृंगार हैं

जब कण्ठ में विराजे तो नवरत्न हार हैं

जब होठों से छलके तब मेरा प्यार हैं

जब भावेँ सिमटे ये माथे पर

बिन्दी बन मेरा खुमार हैं

आँखों से जब बहते तो

मेरी काजल और लज्जा का आधार हैं

मेरे शब्द जब किसी के कानो पे देते दस्तक

तब कनक कुण्डल का उपहार हैं

ये मेरी हथेलीयों पे मेहन्दी की महक

पैरों पे पायल की झन्कार हैं

ये मेरे शब्द मेरा सोलह श्रृंगार हैं

जब कलाईयों पर बिछती तो अनमोल कंगन हैं

फिर उंगलियों से अंगूठी बन लिपट उनका इकरार हैं

जब कागज पर उतरती तो मेरी भावना का इजहार हैं

ये पैरों पे पयजनिया, नाक पे नथ, हाथों पे चुरी, ललाट पर टिका और माथे पर चुनरी रूप है मेरा प्यार हैं

और क्या कहु इनका

यही मेरा सोन्दर्य यही संपूर्ण श्रृंगार हैं |



No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts