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जो आज सही क्यों कल
वही मन को गलत लग जाए
ये मन क्यों चंचल खग सा
जग भ्रमण को उड़ जाए
अति प्रयास के पश्चात भी
क्यों हम इस मन को
संचालित ना कर पाए
और इस अस्थिर जग में
स्थिरता की छवि
बिहारी हमें बस तुम ही में देत है दिखाए
वही मन को गलत लग जाए
ये मन क्यों चंचल खग सा
जग भ्रमण को उड़ जाए
अति प्रयास के पश्चात भी
क्यों हम इस मन को
संचालित ना कर पाए
और इस अस्थिर जग में
स्थिरता की छवि
बिहारी हमें बस तुम ही में देत है दिखाए
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