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अकसर विचारधारा पे सवाल उठते हैं।
दक्षिणपंथी हो या वामपंथी हो?
साम्यवादी हो या समाजवादी हो ?
मुस्लिम हो या फिर काफिर हो ?
बहुसंखी बोली क्यों बोलूं ?
एक रंग की चोली क्यों ओढुं ?
मेरे विचार तो बहती धारा हैं।
एक विचारधारा से क्यों जोडूं ?
मैं राम भी हूं, ज़रा रावण भी।
मैं पांडव हूं, ज़रा कौरव भी।
मैं गौतम हूं, महावीर भी हूं।
अशोक हूं मैं, सिकंदर भी।
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