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रात ठहर गई है मुझमें

Sylvester BrittoSylvester Britto June 16, 2020
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मेरी ज़िंदगी की कैफियत तो पूछिए ही मत,

एक घोर घनी रात ठहर गई है मुझमें I

इसका उजाला न जाने कब आएगा,

उस कैफियत को भी रहने की आदत हो गई है इसमें I I


एक निराशा,लाख सहारों की उम्मीद मुझे भी थी,

पता नहीं यह आंकड़ा कैसे उल्टा पड़ गया I

बहुत ही धुंधली यादें बाकी है अब तो,

अरे ! यह तो मेरा एक छोटा-सा अफसाना बन गया I I



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