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मैं कौन हूं
कभी इंद्रधनुष तो कभी वैराग्य हूं
कभी अपनी ही आखों से निकला आंसू का कतरा
तो कभी कोई नदिया की धारा
या कभी पूरा समंदर हूं
कभी हिमालय पर जमी बर्फ
तो कभी चिलचिलाते रेगिस्तान की रेत हूं
कभी सूरज की पहली किरण
तो कभी सूर्यास्त का गेरुआ आसमान हूं
कभी ताज में जड़ा हुआ कोहिनूर
तो कभी मधुशाला का टूटा पैमाना हूं
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