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ज़रा बिखरा होगा उनकी बिंदिया से कुमकुम,
तभी शाम का रंग सिंधूरी सा है।
उनसे कहिए संवार ले उनकी आंखों का काजल,
के रात होने में तो अभी देर है।
_स्वाति शर्मा
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