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दिन भर की भाग दौड़ के बाद
जब घर पहुंच के दरवाजा खटखटाया
एक मुस्कुराते चेहरे ने दरवाजा खोला,
माथा चूमते हुए गले से लगा लिया..
पल भर में सारी थकान मिटा दी उस आलिंगन ने ।
कुछ नर्म अपनापन और ठंडा सा आराम
जैसे सहरा की गर्म रेत को
सागर की लहरों ने छू लिया हो
उस में से उठती भाप सा सेक था उस आलिंगन में ।
पल भर में तनाव का बोझ हट गया
यूं लगा के जैसे पाँव धरा से छूट गए
और बदन पिघल कर उन में समा रहा हो
ऐसा गुरुत्वाकर्षण था उस आलिंगन में ।
_ स्वाति शर्मा
जब घर पहुंच के दरवाजा खटखटाया
एक मुस्कुराते चेहरे ने दरवाजा खोला,
माथा चूमते हुए गले से लगा लिया..
पल भर में सारी थकान मिटा दी उस आलिंगन ने ।
कुछ नर्म अपनापन और ठंडा सा आराम
जैसे सहरा की गर्म रेत को
सागर की लहरों ने छू लिया हो
उस में से उठती भाप सा सेक था उस आलिंगन में ।
पल भर में तनाव का बोझ हट गया
यूं लगा के जैसे पाँव धरा से छूट गए
और बदन पिघल कर उन में समा रहा हो
ऐसा गुरुत्वाकर्षण था उस आलिंगन में ।
_ स्वाति शर्मा
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