
नारी सशक्तिकरण क्या है???
कभी पूछा है हमने खुद से??
अक्सर सुना है मैंने जमाने में कभी प्रत्यक्ष कभी बहाने में,
आगे उनको बढाते है जो कहीं पीछे छूट जाते हैं।
सहारा उनको देते है जो लड़ने में कहीं टूट जाते हैं।
पर क्या हर अन्याय को सहती स्त्री वाकई असहाय है??
और हर अन्याय पर इक नियम बना देना इसका उपाय है??
जिस स्त्री ने समस्त संसार को जन्मा,
उस समाज को पुरुष प्रधान बना दिया।
महानता का स्वरूप दे कर
किसी ना किसी रूप में खुद के लिए इक साधन बना लिया।
वो उफ़ तक ना करती दर्द भी जिस पीड़ा से फड़फड़ाए
उसे देवी बना पूजते हम सब पर इंसा का दर्जा देने में घबराए।
हर रिश्ते ने उसके भाग्य में कुरबानियां लिखी,
ना चाहा फिर भी उसके जीवन में पुरुष की मेहरबानियां लिखी।
आज समाज हर स्त्री के अधिकार और समानता की बात करता है,
जो खुद है शक्ति स्वरूपा उसके लिए सशक्ति की बात करता है।
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