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अकेला चल रहा हूँ मैं ,
इन खाली राहों में
दिल में तराशते उन पल को
जो बीते है तेरी बाहों में।
जो तुम मिले तो पूछूँगा ,
क्या तुम्हे सुकुन मिला
मेरी चाहत में
दुवाओं में तुमको ही मांगा हूं
कमी ना रही इबादत में।
गिरता संभलता चला जा रहा हूँ ,
मैं इन दशों दिशाओं में,
अकेला चल रहा हूं मैं
इन खाली राहों में।
आँखों मे रहती हो तस्वीर बनके,
धड़कती हो सीने में तकदीर बनके
ख्वाब और हकी
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