
शिक्षा जगत मे, मानव का तर्पण है।
शिक्षा जीवन मे मानव का दर्पण है।
शिक्षा का मूल्य बहुत है , संसार मे।
शिक्षा को मेरा , सब कुछ अर्पण है।
समान शिक्षा सब को, चाहता हूँ मै।
शिक्षा को मेरा तो , पूर्ण समर्पण है।
बदलाव चाह रहे तो शिक्षक बनिए।
समाज ओ संकृति के रक्षक बनिए।
नहीं किसी के कभी, भक्षक बनिए।
प्यारे से बच्चों के, अंगरक्षक बनिए।
बच्चों को इतना तो सक्षम करिए।
नहीं किसी को कभी अक्षम करिए।
बच्चे हैं मेरे देश की अमूल्य धरोहर।
ये सब लगते हैं, प्यारे मधुर मनोहर।
बच्चे देश का , आदर और शान हैं।
बच्चों से ही गुरुजनों का सम्मान है।
गुरु शिष्य का पावन रिस्ता बना रहे।
शिष्य के लिए गुरु फरिस्ता बना रहे।
शिक्षकदिवस पर हम यही चाहते हैं।
पूरे जग का भला हो, वही चाहते हैं।
जब समान शिक्षा का अधिकार हो।
मेरे देश मे शिक्षा कुछ इसप्रकार हो।
गुरु पढ़ाएं हम को, श्रेष्ठता की तरह।
गुरुओं को पूजे हम देवता की तरह।
मानव जीवन का विकास हैं शिक्षक।
ज्ञान देकर हमको बना देते हैं सक्षम।
दुनिआ मे गुरु सेवा, है सबसे उत्तम।
जिसे ग्रहण कर बनते हैं पुरुषोत्तम।
पाँच सितंबर को मिल कर हम सब।
शिक्षकदिवस को मनाते हैं हम सब।
श्री सर्वपल्ली राधा कृष्णन, जी के।
जन्मदिवस के उपलक्ष्य मे हम सब।
सूर्यप्रताप सिंह आज़ाद
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