Share1 Bookmarks 238694 Reads1 Likes
मैं सुबह बनारस की, तू अवध की शाम हो जा।
मैं पतित पावनी गंगा सी,
तू अघोर शिव अविनाशी,
मैं चंचल काया पार्वती,
तू रूप कुरूप कैलाशी,
मैं बनूँ जो गिरिजा पार्वती, तू शिव का कैलाश धाम हो जा।
मैं सम जनक नन्दिनी जानकी,
तुम ज्यूँ दशरथ राज दुलारे हो,
मैं पवित्र पतिव्रता सीता सी,
तुम मर्यादा पुरुषोत्तम न्यारे हो,
मैं बनूँ मातु सीता सी, तू अवधपति राम हो जा।
मैं जो एक गोपिका राधा हूँ,
तुम अष्टवक्र गिरिधारी हो,
मैं कठिन तपस्या मीरा सी,
तुम मुरली मनोहर बनवारी हो,
मैं हूँ गौरवर्ण रुक्मणी, तू सांवला घनश्याम हो जा।
मैं छन्द सुन्दरित गीत कोई,
तू नज़्म कोई रूहानी,
मैं कबीर की साखी कोई,
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments