लिया दाखिला एक दिन , पहुंच गया कॉलेज।
कॉपी, बस्ता, साथ में लई किताब सहेज। ।
लई किताब सहेज, चले बाबूजी बनकर,
मुँह पर पाउडर पोता, इत्र लगाया जमकर।
सोचा अच्छे बच्चे, अच्छे शिक्षक होंगे,
वर्तमान शिक्षा के सभी समीक्षक होंगे। ।
लेकिन पहुँचा जब वहाँ तभी रह गया दंग।
हाथ पैर के संग में फड़क रहे सब अंग। ।
फड़क रहे सब अंग, देख हालत कक्षा की,
बना रखी थी दयनीय हालत शिक्षा की।
टूटी फ़ूटी बेंच, धूल भी ज़मी हुई थी,
ये सब देखा मेरी साँसें थमी हुई थीं। ।
बैठ गया मैं खिन्न सा , मन था डांवाडोल ।
पहले घंटे में पढ़ाई जाती थी भूगोल ।।
जाती थी भूगोल , उन्होंने खूब बताई ,
पृथ्वी से है चाँद चार सौ मीटर भाई ।
पाठ पढ़ाते सर जी पहुंचे बहुत डीप में ,
ऑस्ट्रेलिया है श्रीलंका महाद्वीप में ।।
‘’ अली , कली ही सौं विंध्यों आगे कौन हवाल ।‘’
हिन्दी वाली मैम ने पूछा यही सवाल ।।
पूछा यही सवाल , लिखा दोहा ये किसने,
कोई कहे सूर , कोई बोले दिनकर ने ।
मैडम बोलीं कोई पढ़क्कू नहीं दिखा है ,
ये दोहा बाबा तुलसीदास ने लिखा है ।।
राजनीति विज्ञान में , खूब बताई बात।
प्रथम राष्ट्रपति देश के , थे श्री रामनाथ।।
थे श्री रामनाथ , गाँधी थे हिंसा वादी ,
गोवा में है भारत की आधी आबादी ।
कह कवि सूर्य प्रकाश , अचंभित हुआ विधाता ,
नेहरू जी थे संविधान के निर्माता ।।
अंतिम कक्षा थी तथा , पढ़ना था इतिहास ।
यजुर्वेद के रचयिता , थे श्री कालिदास ।।
थे श्री कालिदास , भेद हमने ये जाना ,
शाहजहाँ की बीवी थी रजिया सुल्ताना ।j
कह कवि सूर्य प्रकाश , बात ये समझ ना आती ,
जहांगीर था औरंगजेब का नाती ।।
पहुंचा ये सब देखकर , प्रिन्सिपल के पास ।
गलत पढ़ाया जा रहा है भूगोल , इतिहास ।।
है भूगोल इतिहास , पास सब कैसे होंगे ,
सर बोले जिसकी पॉकेट में पैसे होंगे।
जो भी जितनी मोटी रकम दे जाएगा ,
उतने ही बेहतरीन अंक फिर वो पायेगा ।।
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