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आई रे आई, ऋतुराज है आई,
चारों ओर वसंत की बहार है छाई।
खेतों में पीली सरसों लहराए,
सबके दिल खिल खिल जाए,
सबने गीत मल्हार के गाए।
रंग बिरंगे फूल खिले,
मौज-मस्ती में तितलियां उड़े,
भंवरे भी गूंजन करें।
शीत ऋतु की हुई विदाई,
वसंत ऋतु की बहार है आई।
-सुरुचि सल्हौत्रा
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