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जन पर्व मकर सक्रांति आज,
गंगा स्नान की धूम मची।
धनु से जो मकर राशि में आया,
सूर्य की लाली बढ़ने लगी।
उत्तरायण जो सूर्य हुआ,
नव चेतना प्राणियों में जगी।
प्रभा से तमस भाव घटा ,
कोहरे की चादर छटने लगी।
पतंगों से आसमान रंगीन हुआ,
नये सपनों ने उड़ान भरी ।
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