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भारत माता तुम्हे प्रणाम,
हम सब हैं तुम्हारी संतान।
रुप अनेक भेष अनेक,
फिर भी हम सब हैं एक।
उच्च हिमालय तुम्हारा ताज,
कल कल नदियां बहतीं साथ।
बारी-बारी ऋतुएं हैं आती,
अपनी छटा यहां दिखलाती।
हरा भरा तेरा हर कोना,
तेरी धरती उगले सोना।
बनी रहे तेरी यह शान,
तुझसे है हमारी पहचान।
-सुरुचि सल्हौत्रा
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