
Share1 Bookmarks 142 Reads2 Likes
सीधी सादी सौम्य सुलहरें
कभी सुनामी लहर समंदर
पलट कभी फिर यह न कहना
साहस नहीं है ,मेरे अंदर
कभी सुनहरी धूप सुलभ सी
कभी जला भी सकता दिनकर
पलट कभी फिर यह न कहना
साहस नहीं है, मेरे अंदर
कभी फुहार
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments