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तुम बहुत खूबसूरत लगती हो
जब करती हो सादगी का श्रृंगार,
जब लेती हो स्थिरप्रग्य अवतार ,
और फिर जब बना लेती हो श्रुतियों को अलंकार
सच में ,
तुम बहुत खूबसूरत लगती हो
ये लगना कितना अज़ब है
और होना कितना गजब है
कभी कभार या ज़ार बार ,
जब करती हो असत्य का तिरस्कार
सच .....
दे जाती हो भावनाएं हजार
और फिर वो भावनाएं कर जाती
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