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मन के बदलते मौसमों को आकाश नही कहने
और जो बिगड़ जाए उसे बदमाश नहीं कहतेंं
टूटने को तो बहुत चीज टूटता है लेकिन
जो बार बार टूटे उसे विश्वास नही कहतेंं ।1।
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