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बहुत चली तेरी मनमरजियां ऐ जिन्दगी
अब मेरे फरमाइशों का दौर होगा
इस गुजरती उमर से पहले एक जिन्दगी थी
पैर जमीन पर और ख्वाहिशें आसमान पे थी
दौड़ते-भागते, गिरते-पड़ते चले जा रहे थे
कदम बस आगे बढ़ाना है
और कुछ होश कहां थे
एक जुनून था आगे बढ़ने का
जिन्दगी को जी भर जीने का
पर तू खड़ी इतरा रही थी
मेरी मासुमियत पर मुस्कुरा रही थी
सामने खड़ी थी एक के बाद एक जिम्मेदारियां
तुने तो डाल दिया मेरे पैरों में बेड़ियां
चल अब बढ़ के दिखा
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