
नया नया है दुआ सलाम, जनाब
थोड़ी तकल्लुफ़ , थोड़ा फ़ासला ज़रूरी है
हल्की सी जो हो रही दोस्ती, आहिस्ता
हुज़ूर, अभी थोड़ा फ़ासला ज़रूरी है
तुम जो पुराने अज़ीज़, हो अकलमंद
तुम्हें मालूम हमें, थोड़ा फ़ासला ज़रूरी है
इश्क़ में दूरियाँ ना गवार, नज़दीकियों
के तूफ़ान में भी, थोड़ा फ़ासला ज़रूरी है
सोचती हूँ , कितने रिश्ते बच जाते ग़र
मानते हर सूरत, थोड़ा फ़ासला ज़रूरी है
तुम जो मेरा हिस्सा हो, तुमसे ही सीखा
एक उम्र लगाकर, थोड़ा फ़ासला ज़रूरी है
ना जाने कौन कब बन जाए आका या रक़ीब
नौकरी में हरगिज़, थोड़ा फ़ासला ज़रूरी है
जो बेल सी चिपक कर हुईं बड़ी, खिलते ही
वो कलियाँ भी कहें, थोड़ा फ़ासला ज़रूरी है
और देखो ना, अब तो फ़रमान ए सरकार है
दस्तूर ए ज़माना है, थोड़ा फ़ासला ज़रूरी है
ज़िंदगी के लिए , ज़िंदा रहने के लिए
इल्तिजा है यही, थोड़ा फ़ासला ज़रूरी है..
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