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बदल न सके कभी खुद को,
फिर भी चर्चा सर-ए-'आम किया ,
ढिंढोरा पीट कर हक्क का दुनिया में
घर घुसते ही उसने अपना लिबास बदल लिया
चुन न सके खुद उस राह को,
फिर भी दाएं-बाएं का घमासान किया,
क़ाबिल नहीं जो गैर जानिबदार होने में,
घर घुसते ही उन्होंने अपना लिबास बदल लिया
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