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कुछ वादे इस नये साल से
कुछ बिखरते रिश्ते इस वक़्त के,
समेट कर हर कोना
आगे बढ़ रही हूँ मैं!!
कुछ नई सी है उमंग
और छूठने का डर भी !
कुछ तस्वीरे हैं नयी
और अतीत के अक्स भी !
हाथ बढ़ाउ तो पड़ती किरन हैं!
पर पैर खिचता वक़्त भी,
उड़ने को हूँ तैयार
पर घेरत
कुछ बिखरते रिश्ते इस वक़्त के,
समेट कर हर कोना
आगे बढ़ रही हूँ मैं!!
कुछ नई सी है उमंग
और छूठने का डर भी !
कुछ तस्वीरे हैं नयी
और अतीत के अक्स भी !
हाथ बढ़ाउ तो पड़ती किरन हैं!
पर पैर खिचता वक़्त भी,
उड़ने को हूँ तैयार
पर घेरत
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