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कुछ वादे इस नये साल से
कुछ बिखरते रिश्ते इस वक़्त के,
समेट कर हर कोना
आगे बढ़ रही हूँ मैं!!
कुछ नई सी है उमंग
और छूठने का डर भी !
कुछ तस्वीरे हैं नयी
और अतीत के अक्स भी !
हाथ बढ़ाउ तो पड़ती किरन हैं!
पर पैर खिचता वक़्त भी,
उड़ने को हूँ तैयार
पर घेरती परछाई भी !
क्यों खीचें हैं बोझ कल का..
जब आज में हैं वक़्त...
क्यों बेसब्र हैं मन यू,
जो बूंदों में छलके अश्क....
क्यों लगता हैं भारी सा सब
क्यों न कह पाऊ मैं सबसे ये अब
क्यों इस "क्यों " के जवाब नहीं कोई
क्यों हैं राहें कुछ खोई!!
क्यों!!!!
- suman
कुछ बिखरते रिश्ते इस वक़्त के,
समेट कर हर कोना
आगे बढ़ रही हूँ मैं!!
कुछ नई सी है उमंग
और छूठने का डर भी !
कुछ तस्वीरे हैं नयी
और अतीत के अक्स भी !
हाथ बढ़ाउ तो पड़ती किरन हैं!
पर पैर खिचता वक़्त भी,
उड़ने को हूँ तैयार
पर घेरती परछाई भी !
क्यों खीचें हैं बोझ कल का..
जब आज में हैं वक़्त...
क्यों बेसब्र हैं मन यू,
जो बूंदों में छलके अश्क....
क्यों लगता हैं भारी सा सब
क्यों न कह पाऊ मैं सबसे ये अब
क्यों इस "क्यों " के जवाब नहीं कोई
क्यों हैं राहें कुछ खोई!!
क्यों!!!!
- suman
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